Diet & Weight Loss | मैम डिप्रेशन में हूं इसलिए । आपको पोस्ट नहीं कर पा रहा हूं। जैसे ही थोड़ा ठीक हो जाऊंगा आपसे बात करता हूं।

मैम डिप्रेशन में हूं इसलिए । आपको पोस्ट नहीं कर पा रहा हूं। जैसे ही थोड़ा ठीक हो जाऊंगा आपसे बात करता हूं। ऐसे अगर 18—19 साल का कोई लड़का आपसे बोले तो आपकी रिएक्शन क्या होनी चाहिए। ऐसे insident आजकल मेरे साथ बहुत हो रहे हैं। क्या हुआ क्यों आया डिप्रेशन? यह मेरा सवाल होता है । अजीब लगता है मैं सोच में पड़ जाती हूं कि ऐसी भी क्या चीज होती होगी जिससे कि हमारी जो नई पीढ़ी या हमारे देश के जो नौजवान हैं उन्हें डिप्रेशन आ जाता है। जहां मां बाप अपने बच्चों को हर एक चीज देते हैं जिस की डिमांड बच्चे करते हैं। खाने पीने की कमी नहीं जो स्कूल कॉलेज चुनते हैं वहां वह जाते हैं लाइफ स्टाइल बहुत अच्छी हो गई है। अच्छी विचारधाराओं में वह बड़े होते हैं , फिर गलती कहां हो जाती है। अगर गलती कहां हो जाती है ऐसा सवाल हम पूछते हैं ?तो उंगली मां की तरफ उठती है। शायद मां कामकाजी महिला है इसलिए उसका ध्यान उसके बेटे की तरफ नहीं नही है। कुछ महीनों पहले एक सुस्वरूप नौजवान मेरे क्लीनिक में आए। tall ,handsome, good looking उम्र लगभग 19—20 की होगी। बातें भी बहुत अदब से कर रहे थे। बहुत ही अच्छा लगा। पूरी जानकारी लेने के बाद जैसे कि हम हमारे क्लीनिक में कोई भी आता है तो उनके बारे में सभी चीजें जानने की कोशिश करते हैं ।जिससे कि उनके डाइट प्लान बनाना हमारे लिए easy हो जाता है । उनकी जीवनशैली ही हमें उनके फिटनेस का रास्ता दिखाती है । बातचीत में पता चला कि वह क्रिकेट खेलते हैं और कोरोना के दौरान उनका वजन ज्यादा बढ़ गया है इसलिए फिटनेस की तौर पर वह डाइटिशियन का गाइडेंस लेने आए थे। वह चाहते थे कि मैं उनका 10 से 12 केजी वजन कम कर दू। मैंने भी हामी भर दी, 2 महीने में 10 केजी वजन करना वह भी एक वर्कआउट करने वाले इंसान का बहुत ही सरल काम होता है। जो फिटनेस का महत्व जानते हैं और जिनका शरीर वह चीजें करते आ रहा है वहां पर दिक्कत है जरा कम जाती है। सब फॉर्मेलिटीज हो जाने के बाद हमने डाइट पर काम करना चालू कर दिया। पहिले दिन से उनका जो रवैया था वह बहुत ज्यादा पॉजिटिव था। यही कारण था कि बहुत जल्द उनका वजन कम होने लग गया। जो टारगेट उन्होंने सेट किया है वहां तक हम पहुंच जाएं। फिर एकाएक उनके पोस्ट आना बंद हो गया। मैं अचंभित थी बहुत सारे मैसेजेस डालने के बाद भी मुझे रिप्लाई नहीं मिल रहा था। मैंने कनेक्ट होने की पूरी कोशिश की। ऐसे ही 30 दिन निकल गए। फिर एक दिन मैसेज आया। मैम डिप्रेशन की शिकायत हो गई है । और इस टाइम पर मैं खुद को ही संभाल नहीं पा रहा था इसीलिए मैंने आपके एक भी कॉल का और मैसेज का जवाब नहीं दिया। मैंने तुरंत उन्हें कॉल करने के लिए बोला। कुछ समय पश्चात जब उनका कॉल आया तब मुझे कुछ चीजें समझ में आई। उत्सुकता वश मैंने पूछा ऐसा क्या हुआ कि आपको डिप्रेशन आ गया। आप बहुत अच्छा कर रहे थे। क्रिकेट मैच आज बहुत अच्छे से चल रही थी और उसमें भी वह बहुत अच्छा कर रहे थे। जवाब आया अकेलापन पता नहीं कैसे अचानक या जाता है। और यह अकेलापन जब आता है तब सारी दुनिया मे अंधेरा लगता है। बुद्धि ठप हो जाती है और कुछ भी समझ में नहीं आता। की इच्छा नहीं होती किसी से मिलने की इच्छा नहीं होती हर जगह से निगेटिव vibes की आती है। सही है क्या गलत है। करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए। किससे बात करनी चाहिए। किसीसे मिलने की इच्छा नहीं होती। बात करने की इच्छा नहीं होती। मेरा अगला सवाल था लेकिन ऐसा हुआ क्या? इसका जवाब उनके पास नहीं था। या शायद मुझे नहीं बताना चाहते थे । हम भी उम्र से गुजर चुके हैं कुछ चीजें उस टाइम ऐसी होती थी कि हमारे मन मर्जी के खिलाफ थी हमको भी बुरा लगता था जितने सारे लक्षण इन्होंने बताएं वैसे लक्षणों से हम भी कभी न कभी गुजरे हैं। शायद हम सब इस दौर से गुजरे हैं। संभल भी गए। संभालने वाले हाथ आजू बाजू में थे। शायद यह बताने वाले बहुत सारे लोग थे कि पगले यह जो तेरे साथ हुआ है यह हम भी झेल चुके हैं। अलग अनुभवों के साथ हर एक इंसान कुछ ऐसी चीजें कर जाता है, या कुछ ऐसी चीजें उसके साथ होती है, जिससे वह हताश और निराश हो जाता है ।लेकिन उसका मतलब डिप्रेशन में या नैराश्य में जाना नहीं होता है। वहां से निकलकर नई शुरुआत करना बहुत जरूरी है । पहले शायद यह काम दोस्त और हमारे घर में जो बड़े भाई ,बहन या हमारे बुजुर्ग करते थे ।जिनसे हमारी बहुत ज्यादा पटती थी वह करते थे आज यह काम शायद डॉक्टर या साइकोलॉजिस्ट करते हैं। जरूरत बस उस दौर में मदद करने वाले की होती है वह किसी भी रुप से आए तो दोस्तों चीजें वैसी की वैसी है बस उसको संभाल पाने में हम नाकामयाब हो रहे हैं। अभी भी हमारी डाइट जर्नी जो है वह चल रही है और मैं आश्वस्त हूं कि 10 केजी का जो टारगेट मैंने दिया है वह हम बिल्कुल complete करेंगे। आशा करती हूं यह माध्यम से मैं उन तक पहुंच पाऊं जो जिन तक कोई भी नहीं पहुंच सकता । तो शायद यही पढ़कर वह समझ जाए कि इसका भी हल निकलता है । हर अंत के बाद नई शुरुआत है। डॉ सोनल कोलते आहार विशेषज्ञ

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