Diet And Weight Loss | दुनिया मे कितना गम है और मेरा कितना कम है
दुनिया मे कितना गम है
और मेरा कितना कम है
बहुत खूप किसी शायर ने कहा है।आज की कहानी गम के नाम।
पिछले 2 साल हमको रोना नामक बीमारी से झुलस उठे हैं। जिन्होंने अपने खोए हैं उनका दर्द बांटना बड़ा मुश्किल हो गया है। परिस्थितियों के अनुसार हर घर में किसी न किसी ने अपने को खोया है। जो उम्र है उम्मीदों की मां-बाप का कर्जा उतारने की, उम्र में अगर बेटा चला जाए। तो मां-बाप के पर क्या गुजरेगी?
सोचती हूं तो रूह कांप उठती है। मन उलझ जाता है उलझन में। उलझन अभी कैसी सुलझा ले जाओ तू खुद ही उस में उलझ जाओ।
मैं मैं तू खुद के अनुभव लिखती हूं। जो कभी कबार मैंने सुना है जिस पर बीती है उसके जुबानी। मैं लेखक नहीं हूं। भावनाएं समझती हूं। भावनाओं की उलझन समझती हूं। भावना को बहने दो ऐसे बोला जाता है। यह बहाव को रोकने वाला बांध तोड़ने की कोशिश करती हूं। क्योंकि मुझे पता है, अगर यह बांध नहीं टूटेगा, तो अंदर जमा भावनाएं इस कदर शरीर को और मन को खोखला बना देगी उससे उभर पाना मुश्किल या नामुमकिन हो जाएगा
covid-19 के दूसरे पड़ाव में, बहुत ज्यादा तौर पर मनुष्य हानि हुई। इसी दौरान एक 51 साल की महिला ने मुझसे अप्रोच किया। उन्हें वजन कम करना था।
उनकी लड़की और लड़का दोनों भी विदेश में रहते थे। वह और उनके पति जहां रहते थे।
सभी जांच पड़ताल के बाद हमने उनका वेट लॉस कम क्लीनिकल डाइट प्लान की शुरुआत की।
वह बहुत seriouly सब कर कर रहे थे। इस दौरान इस दौरान हमारी बहुत बातें होती थी।
बातें करना मुझे बहुत पसंद है। इसी वजह से शायद मैं लोगों से बहुत ज्यादा कनेक्ट हो जाती हूं।
उनके फूड पोस्ट भी बराबर आते थे। फिर अचानक एकाएक उनके पोस्ट आना बंद हो गया। कॉल बंद हो गए। मुझे कुछ भी समझ नहीं आया। मैंने सोचा शायद कुछ काम में उलझ गए होंगे तो बाद में सब procedure follow करेंगे।
फिर मैंने एक दिन एक audio msg उन्हें किया।
उसके ठीक 2 दिन बाद दोपहर में उनका मुझे कॉल आया।
जैसे ही मैंने कॉल उठाया एकाएक मुझे वहां से और रोने का आवाज आया। कुछ पल मैं कुछ भी नहीं समझ पाई।
थोड़ी देर ऐसे ही शांति में गई।
फिर मैंने पूछा क्या हुआ काकू?
खुद को सवार ते हुए वह बोली, तब मुझे कुछ परिस्थितियां समझ में आई। उनकी बहन और बहन का जवान लड़का दोनों भी मृत्यु से झगड़ रहे थे।
उनकी बहू और नाती उनके ही पास था।
पहले बेटा जिंदगी की लड़ाई हारा और बाद में बहन।
दोनों मां बेटी एक ही घर से एक ही दिन घर खाली करके चले गए। कभी भी वापस ना आने वाले सफर पर।
काकू (aunty) सदमे में थे।
गुजर जाने वाले व्यक्तियों से मेरा कोई भी रिश्ता नहीं था।
यह जो मेरे client थे, इसे मैं कभी भी नहीं मिली थी।
उन्होंने उनका गम बांटने के लिए मुझे चुना।
यह घटना होने के पहले हमने
aunty का 30kg weight loss कर चुके थे।
6 महीने का रिश्ता था। और रिश्ता इतना पक्का कि गम में किसी की याद आई तू वह मेरी।
मेरी बड़ी कोशिश रही उन्हें समझाने की पर शायद वक्त से बड़ा कोई भी डॉक्टर नहीं होता। मन के घाव अगर कोई भरता है तो वह है वक्त।
न दिखने वाली चौकट जब हमारे दिमाग में पड़ जाती है। उसे तोड़ना बड़ा मुश्किल हो जाता है। जो यह चौकट तोड़कर उसके पास चला जाता है उसके लिए जिंदगी में कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं रहती।
आज बस इतना ही लिखती हूं।
डॉ सोनल कोलते
आहार विशेषज्ञ
09595856039
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