Diet And Weight Loss | मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हुई

हमारी जिंदगी में हमें विभिन्न प्रकार के लोग मिलते हैं। कुछ हमारे जीवन में ऐसी छाप छोड़ जाते हैं कि हम उन्हें जिंदगी भर नहीं भूल सकते। पर हमें यह मौका रोज मिलता है। आज जिस व्यक्तिमत्व के बारे में बात कर रही हूं, वह मेरे कोई दूसरे क्लाइंट के रेफरेंस से मेरे clinic आए थे। मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हुई । उसका कारण भी वैसा ही था। वजन ज्यादा होने की वजह से और मांसपेशियां कमजोर हो जाने की वजह से पैरों में बिल्कुल जान नहीं थी। इसी वजह से यह जो महिला थी यह व्हीलचेयर पर थी । यही कारण था कि उनका वजन दिन-ब-दिन बढ़ रहा था। मेरे पास जब यह केस आया तो मैं भी थोड़ी सी उलझन में थी क्योंकि कोई भी मूवमेंट अगर नहीं है तो वजन कम करने में दिक्कत हो जाती है। फिर भी चैलेंज को स्वीकार कर हम आगे बढ़े ।जैसे कि हर बार कहती हूं कि पहले मैं जो व्यक्ति को डाइट देती हूं। उनके बारे में सब जानने की कोशिश करती हूं । ऐसा ही मैंने इनके साथ भी किया मैं चाहती थी कि जिसके साथ मुझे काम करना है ।जिस पर मुझे काम करना है वह मुझे हर तरह से पता हो । इसीलिए बातचीत चालू हुई। पिछले 5 सालों से वह व्हीलचेयर पर थे बहुत ही उत्साहित महिला से मेरा परिचय हुआ मुझे लगा शायद नैराश्य उनके जीवन में भर गया होगा। पर ऐसा नहीं था जब बात हुई और उनकी दिनचर्या मुझे पता चली तब मैं अचंभित रह गई उम्र करीब 50—55 की होगी भरे पूरे परिवार का एक हिस्सा थी। जहां पर बेटे बहू नाती पोते सब लोग रहते थे और ऐसे घर में एक व्हीलचेयर पर रहने वाली महिला जिनकी दिनचर्या बहुत ही अचंभित करने वाली। ऐसे बहुत लोगों से मिलती हूं जिन्हें परिस्थिति वश नहीं कर पाते हैं या उम्र को हथियार बनाकर बहुत बार उसके पीछे अपनी परेशानियों को सामने लाने की कोशिश करते हैं और हमेशा रोते रहते हैं। इस वजह से घर के एक कोने में वह रहते हैं जहां उन्हें कोई भी महत्व नहीं दिया जाता क्योंकि वह खुद को महत्व नहीं देते। हर बार शिकायत करते रहते हैं। हमेशा अपेक्षा करते हैं कि उनका बोझ जो है उनके बच्चे उठाएं। मुझे लगता है उम्र के हर एक दौर पर हमको स्वावलंबन अपनाना चाहिए। कोई और हमारे लिए कुछ करें इससे अच्छा हम खुद ही हमारे बारे में सोचे। जो महिला है जो के बारे में मैं बात कर रही हूं इनकी दिनचर्या यहां पर बताना चाहूंगी। इनकी सुबह 5:30 हो जाती है।..... सुबह के सब काम निपटा कर नहा कर यह मंदिर प्रस्थान करती है। आते आते सब्जियां फल जो भी घर में लगता है वो लेकर आती है। सभी सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से काटकर फ्रिज में रख देती हैं। फिर कुछ एक्सरसाइजेज जो डॉक्टर ने उनको बताई है, वह करती है। बैठे-बैठे जो भी काम हो कर सकती है वह करने की वह कोशिश करती है । जिससे घरवालों को वह बोझ नहीं लगती। जितने भी त्यौहार आते हैं बहुत ही उत्साह से वह मनाती है। मुझे इसलिए पता चला क्योंकि जब भी कोई त्यौहार आता है तो उसकी तस्वीरें वह मुझे भेजती है। जब जब मेरी बात इनसे होती है तब मैं उन्हें बोलती हूं कि व्हीलचेयर से उठकर चलते हुए मुझे आपको देखना है। वह भी हंसते-हंसते बोलती है क्यों नहीं दीदी 1 दिन पक्का मैं चलूंगी। मैं भावविभोर हो जाती हूं। भगवान से यही दुआ करती हूं, मैं उनकी इतनी मदद कर पाऊं, कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो जाए। हर हफ्ते में उन्हें डाइट भेजती हूं वह हर हफ्ते डायट करते भी हैं। हफ्ता खत्म हो जाता है तो मैं उन्हें बोलती हूं की वजन करें मशीन पर खड़े रहना ही उनके लिए नामुमकिन है। मगर हां Inch लॉस हो रहा है, उसके बारे में वह जरूर मुझे भेजते है। उम्मीद पर दुनिया कायम है और मुझे उम्मीद है कि 1 दिन वह खुद के पैरों पर खड़े होकर वहीं मशीन पर खड़े रहेंगे और मुझे खुद का वेट भेजेंगे। और शायद 1 दिन ऐसा भी आएगा जिस दिन वह चलते-चलते मेरे क्लिनिक में आएंगे। जीवन में कुछ भी हो सकता है।आशा निराशा के इस खेल में सकारात्मक आशा ही हमें जीवन का लुफ्त उठाने के लिए उत्साहित प्रोत्साहित करती हैं। धन्यवाद डॉ सोनल कोलते आहार विशेषज्ञ

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