किसी चीज की चाहत आपसे ऐसी चीजें करवा जाती है | डाएट अँड वेट लॉस की सच्ची कहानियाँ

किसी चीज की चाहत आपसे ऐसी चीजें करवा जाती है कि जिसकी शायद उम्मीद कोई भी आप से नहीं करता। आपसे ज्यादा आपके इर्द-गिर्द जो लोग आपको पहचानते हैं उन्हें लगता है कि आप में वह चीज करने की क्षमता नहीं है। लेकिन शायद इसी को मेहनत और लगन कहते हैं। शिद्दत से की हुई मेहनत और लगन आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा देती है। बस वह मेहनत आपकी मंजिल की तरफ होनी चाहिए। मंजिल की तरफ बढ़ा हुआ हर एक कदम आपकी मंजिल को और करीब लाता है। ऐसा ही किस्सा आज सुनाने जा रही हूं। मई या जून की बात होगी। शाम में क्लीनिक बंद करने से पहले मुझे एक कॉल आया। "मैम, मुझे आपकी अपॉइंटमेंट चाहिए? मैंने कहा आ जाइए। अगला सवाल था ? क्या ,आपके क्लीनिक में आने के लिए सीढियां चढ़ीनी पड़ती है? मैंने कहा नहीं ,सीढियां नहीं चलनी पड़ती। कुछ देर बाद एक सुंदर लंबी जवान खूबसूरत लड़की अंदर आई। मुझे थोड़ा अचरज लगा। मुस्कुराते हुए वह कुर्सी पर बैठे। उनके पीछे उनके पीछे कोई धीरे-धीरे चल कर आ रहा था जिनकी लंबाई 4.9 इतनी होगी चौड़ाई जरूरत से ज्यादा थी। धीरे-धीरे एक-एक पैर जमीन पर रखते हुए वह मेरी तरफ बढ़ रहे थे। चलना उनके लिए एक बहुत मुश्किल टास्क था। दिक्कतों के साथ वह केबिन में कुर्सी तक पहुंचे। ये मेरी और सतनाम जी की पहली मुलाकात थी। यहां से उनकी बहू और मेरे बहुत सारे डिस्कशन चले जिसमें शायद 10% का भी सतनाम जी का रोल नहीं था। बहुत अच्छे छात्र की तरह वहां बैठी थी और हमारी हर एक बात सुन रही थी। बस बीच-बीच में छोटी बच्ची मुझे यह अच्छा नहीं लगता ,मुझे वह अच्छा नहीं लगता, मैं यह नहीं खाऊंगी, मैं वह नहीं खाऊंगी ऐसे सजेशन हमे दे रही थी। मैं थोड़ी हैरान-परेशान थी। क्योंकि सतनाम जी शाकाहारी थी और शाकाहारी होने के बावजूद उन्हें बहुत सारी चीजें पसंद नहीं थी। ऐसे परिस्थितियों में मुझे मेरी पूरी पढ़ाई और अनुभव याद आता है। की शुरुआत में ही मैंने कहा कि शायद किसी और को हम पर भरोसा नहीं रहता कि हम नहीं कर पाएंगे लेकिन हमको खुद को लगता है कि हम यह कर जाएंगे उनमें से ही एक ही सतनाम जी। की प्यारी और आज्ञाकारी। मजाल है कि एक कल भी ज्यादा खा ले। जो डाइट प्लान में लिखा जाता वैसे ही वह करती। कुछ भी ना ऊपर ना नीचे ना दाई ना बाय। इतना सटीक डाइट फॉलो करने वाला कोई भी मैंने अब तक कि मेरी प्रैक्टिस में नहीं देखा। हरवीर जब वह वेइंग मशीन पर चढ़ते तो वजन उनका कम ही आता। मुझे बड़ा मजा आता था क्योंकि जो भी वजन कम हो रहा था वह सिर्फ और सिर्फ खाने में किए गए बदलाव की वजह से हो रहा था। सतनाम जी दादा हिलडुल नहीं सकती थी क्योंकि उनका वजन ज्यादा था। वजह थी कि वह ज्यादा व्यायाम नहीं कर पाती थी। 2 महीने में 15 केजी और 4 महीने में 20 केजी वजन सतनाम जी ने कम कर लिया। मैं खुद आश्चर्यचकित थी मैंने सतनाम जी को क्लीनिक में बुलाया फिर से मैं चाहती थी। सतनाम जी जब दादी बनी थी तो उन्होने मुझे कॉल किया था बडे उत्साह से और आनंद मे उन्हे ये वार्ता मुझसे Share की थी। उनका एक बार फिर से एनालिसिस करूं जिसे हम बॉडी कंपोजिशन एनालिसिस बोलते हैं। आज फिर सतनाम जी मेरी क्लीनिक में आए। मंजर वैसे ही था पर इस बार पहले सतनाम जी आई और उनके पीछे उनकी बहू सतनाम जी बड़े आराम से चलते-चलते आई कुर्सी पर बैठी चेहरे पर एक मुस्कान थी बहुत सारा आत्मविश्वास था और एक सुकून था वजन कम करने का। जीत की खुशी चेहरे पर समझ में आ रही थी हमने बॉडी कंपोजिशन एनालिसिस किया है जैसे कि मैं हर बार बोलती हूं कि वेट लॉस नहीं फैट लॉस होना चाहिए सतनाम जी ने 20 केजी फैट लॉस कर लिया था और मसल गेम भी हुआ था 7kg इसीलिए विंग्स पे स्केल पर उनका वजन 15 से 13 किसकी जी ही कम दिखा रहा था लेकिन मैं बहुत खुश थी। और सतनाम जी जी से फूले नहीं समा रहे थे। आज की कहानी मेरी जुबानी सच्ची कहानियों का पिटारा डॉ सोनल का नजरिया। फिर मिलेंगे शब्बा खैर |

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